जो हमें मार्ग दिखलाता है, जो उचित राह दर्शाता है
उसको हम नेता कहते है ,
जो काम हमारे आता है।
भय नही पराजय की उसको, ना
होती चाह प्रशंसा की
निर्णय लेता वह तथ्यों
पर, चाहे दुनियाँ भी हिल जाती।
सच्चाई के संग जीता वो,
सिंह गर्जना करता वो
पर शालीन आचरण उसका, आत्म
नियंत्रण रखता वो।
परिवर्तन को दिशा दिलाता,
अपनी राह स्वंय बनाता
अवरोधों को धता बताता, हर
पल आगे बढ़ता जाता
और लक्ष्य के आ जाने तक,
वह अपना सर्वस्व लुटाता।
जब कभी मंद हो जाती उसकी
गति, शक्तिहीनता की आ जाती स्थिति
ऊपर वाले की सुध लेकर ,
वह विश्वास स्वंय पर करता
फिर उत्साह एकत्रित करके,
वह तो आगे बढ़ता रहता।
परोपकार को आगे रखकर,
अपने कदम बढ़ाता वो,
भौतिकता को व्यर्थ समझकर,
परसेवा में सुख पाता वो,
प्रेम दया और क्षमा की
शिक्षा कभी नहीं झुठलाता वो,
चाहे स्थिति कुछ भी हो,
मूल्यों की रक्षा करता वो,
स्वाभिमान की रक्षा में,
जीवन भी दांव लगाता वो।
है आज पुकारती ये धरा, है
कोइ वीर साहस से भरा?
जो अशाओं पर उतरे खरा,
सम्भाल सके नेतृत्व की परम्परा?
है प्रश्न एक ये चुनौती
भरा,
यदि उत्तर आने में देर
लगी
तो क्रन्दन करेगा खाली
मंच, मात्र विडम्बनाओं से भरा……………………………………
Nice Written Mishra ji.. Keep it up :)
ReplyDeleteThanks.........
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